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षटकुल के दरबार में वहां का राजा शतादित्य जोर-जोर से अट्टहास कर रहा था और उनका सेनाप्रमुख बहुत उत्साहपूर्वक सारी घटना का वर्णन कर रहा था। “महाराज तीनों ग्रामों में कुछ गिने-चुने लोग बचे होंगे और जो बचे हैं उनकी भी डर के मारे बोलती बंद हो गई होगी। अरे वे तो अपने राजा को यह तक बताने में सक्षम नहीं होंगे कि यह सब आखिर किया किसने।” “नहीं” एकदम राजा का अट्टहास थमा “यदि उन्हें यह पता नहीं चला कि यह सब किसने किया है तो उन्हें हम पर क्रोध कैसे आएगा और यदि उन्हें हम पर क्रोध नहीं आएगा तो फिर वे हम पर आक्रमण करने का विचार कैसे बनाएंगे।” “किंतु महाराज आप ये चाहते क्यों हैं कि वे हम पर आक्रमण करें” राजा पुनः अपनी गर्वीली वाणी में बोला, “मेरे जीवन का एकमात्र उद्देश्य विराटनगर को अपने अधीन करना है और मैं वह कर के रहूंगा। मैं थक गया हूं उनके नियमों के अनुसार जीते जीते, अब सब कुछ मेरी इच्छा के अनुसार होगा। हमारे इस कृत्य से वे क्रोधित होंगे और हम पर आक्रमण करेंगे। उन्हें यदि इस बार क्रोध नहीं आया तो फिर ऐसा आक्रमण हम पुनः करेंगे और तब भी नहीं आया तो पुनः करेंगे, तब तक करते रहेंगे जब तक की वे हम पर आक्रमण का विचार ना बना ले।” राजा अपनी बड़ी-बड़ी आंखों को कटोरियों में गोल-गोल घुमाता हुआ कहता रहा। “वो आक्रमण का विचार बनाएंगे तो उन्हें वितस्ता पार करके इस ओर आना होगा और वितस्ता कोई छोटी-मोटी नदी तो है नहीं और जब वो वितस्ता पार करके इस ओर आएंगे तो इस ओर मैं उन्हें घेरकर काल के दर्शन कराऊंगा क्योंकि इस तरफ मेरा साम्राज्य है और मेरे साम्राज्य में मेरी इच्छा के बिना ना तो कोई आ सकता है, ना कोई जा सकता है। वे इधर आएंगे और इधर से सीधे यमलोक जाएंगे। विशेष रुप से उनका सेनापति रुद्रदेव जो अपने आप को न जाने कितना बड़ा योद्धा समझता है। अब उसे पता लगेगा कि हमारी शक्ति कितनी है।“ उसने अपनी कुटिल वाणी को संयत किया और फिर बोला, “सेनाप्रमुख, हमारे जो गुप्तचर विराटनगर में हैं उन्हें सक्रिय कर दो और उन्हें सूचित कर दो कि हमें उनकी योजनाओं की सूचना पहुंचाते रहें। अगर युद्ध हुआ तो यह युद्ध हमें किसी भी मूल्य पर जीतना ही होगा” वह पुनः अट्टाहास करने लगा। Previous< >Next -------------------- आगामी भाग में पढ़ें- षटकुल और विराटनगर में युद्ध होगा अथवा नहीं । क्या रुद्रदेव, षटकुल की चाल में फंस जाएगा ? पढ़ते रहें “महाप्रयाण” हमारे पाठकों द्वारा निरंतर सुझाव व समीक्षा की जा रही है तथा हम इन सुझावों पर अमल करने का प्रयास भी निरंतर कर रहे है। आशा है “महाप्रयाण” आपको पसंद आती रहेगी। कृपया हमसे जुड़े रहें, अपने सुझाव व विचारों से हमें अवगत कराते रहें और पढ़ते रहें। आगामी भाग दिनांक 27.11.2016 को प्रकाशित किया जाएगा। धन्यवाद
1 Comment
Preet kamal
27/11/2016 08:27:22 am
Waiting for more now....:)
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