fiction hindi
  • रचनाओं की सूची
  • Blog
  • महाप्रयाण
  • Contact Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • रचनाओं की सूची
  • Blog
  • महाप्रयाण
  • Contact Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy

महाप्रयाण भाग -17 "जयघोष"

25/12/2016

1 Comment

 
Previous<                                 >Next

  वितस्ता का मैदान समरांगण बन चुका था , जहां सेना का ज्वार आया हुआ था । रुद्रदेव ने अपने अश्व पर बैठकर , अपने गले की तनी हुई शिराओं को फुलाकर, अपनी गंभीर आवाज को वायु के तेज झटके के साथ बाहर निकाला , “विजय विजय विजय! क्या है विजय? कैसे मिलती है विजय ? क्या हमारे विशाल भुजदंडों से मिलेगी विजय ?”

उनके सामने खड़ी पचहत्तर हजार की महाकाय सेना ने एक साथ 'हां' कहकर आकाश गुंजा दिया । पक्षी तितर-बितर हो कर भागने लगे ।

“क्या हमारी सामर्थ्य से मिलेगी विजय ?”

“हाँ”

 इस बार भूचाल सा लगा ।

“क्या हमारे रक्तपिपासु आयुधों से मिलेगी विजय ? ”

“हां ”

निकट बह रही वितस्ता का बहता जल थम गया।

 “देखिये सेना के इस महासागर को और अनुभव कीजिये हमारे भीतर बह रहे इस भावनाओ के महाज्वार को।”

रुद्रदेव ने सेना के एक छोर से दूसरे छोर तक दृष्टि डाली। सचमुच का सागर था।

“कौन है जो हमें पराजित कर सके? कौन है जो हमें रोक सके?"

“कोई नहीं, कोई नहीं” सारी सेना फिर एक साथ समवेत हुई।

“नहीं जानते वो लोग , जो कहते हैं  कि युद्ध से विजय प्राप्त होती है ।” , सेनापति रुद्रदेव ने अपनी ओजस्वी वाणी को और प्रखर किया ।

“युद्ध केवल परिणाम प्राप्त करने का साधन है , परिणाम सुनिश्चित करने का नहीं । युद्ध में विजय केवल उसी की होती है, जो यह जानता है कि विजय उसी की होगी और पराजय उसकी होती है , जो यह समझता है कि विजय उसकी होगी और मैं यह जानता हूं कि विजय विराटनगर की ही होगी। विराटनगर अविजित था , अविजित है और अविजित रहेगा क्योंकि इसके प्रहरी आप हैं, इसका प्रहरी मैं हूं ।” सेनापति ने अपने सीने पर लगे लोहे के कवच को मुट्ठी से ठोका ।

“हम जानते हैं कि इस युद्ध में अनेक प्राण चले जाएंगे किंतु जीवन प्राणों से नहीं है , आत्मगौरव से है ।  मृत्यु हार नहीं है और जीवन जीत नहीं है। यदि मृत्यु हार है तो अभिमन्यु का उदाहरण है जो मरकर भी जयी है और यदि जीवन जीत है तो अश्वत्थामा का उदाहरण है जो प्रतिक्षण मर रहा है इसलिए प्राणों की चिंता न करना , यदि वे आज रण में रह भी गए तो कल व्याधि शैया पर निकल जाएंगे , पर वितस्ता की ऐसी सुखमयी गोद कहां प्राप्त होगी ।”

सेनापति ने अपनी मुट्ठी भींचकर आकाश की और उठाई और लगभग चीखते हुए बोले  , “यह याद रहे कि हम चाहे रहें ना रहें किंतु यदि उनके सिर धड़ से अलग ना हुए तो यह मातृभूमि हमें धिक्कारेगी,  जिसके आंचल पर उन्होंने पैर रखा है, जिसके बच्चों को उन्होंने काट डाला है , जिसकी बेटियों को उन्होंने निर्वस्त्र किया है । ”

सारी सेना अपने शस्त्रों को ऊपर कर “हा” , “हा” की ध्वनि करने लगी ।

सेनापति ने अपना शस्त्र उठा कर फिर कहा सेना शांत हो गई , “मैं इतिहास बनाने में विश्वास नहीं करता, मैं भविष्य बनाता हूं और मैंने भविष्य का मानचित्र बना लिया है, जिसमें षटकुल नामक कोई राज्य नहीं है। वितस्ता के आर-पार विराटनगर की अनंत सीमा है। आओ षटकुल को मिटा दें , आओ रणचंडी की प्यास उनके रक्त से बुझा दें , वितस्ता को उनके मांस के लोथडों से पाट दें । हर हर महादेव , हर हर शंभू ”
पूरी सेना ने इस नारे से धरती आकाश हिला दिए।

Previous<                                >Next

        ---------------

आगामी भाग में पढ़ें- कैसा होगा युद्ध और क्या होगा इस युद्ध का परिणाम?
जानने के लिये पढ़ते रहें “महाप्रयाण”

आपके सुझावों की हमें आतुरता से प्रतीक्षा रहती है, इनसे हमें अवश्य अवगत कराते रहें।
 आगामी भाग दिनांक 28.12.2016 को प्रकाशित किया जाएगा।
अधिक अपडेट के लिए फॉर्म अवश्य साइन अप करें।
धन्यवाद
1 Comment

    Author

    A creation of Kalpesh Wagh & Aashish soni

    Categories

    All
    Mahaprayaan Ep. 01
    Mahaprayaan Ep. 02
    Mahaprayaan Ep. 03
    Mahaprayaan Ep. 04
    Mahaprayaan Ep. 05
    Mahaprayaan Ep. 06
    Mahaprayaan Ep. 07
    Mahaprayaan Ep. 08
    Mahaprayaan Ep. 09
    Mahaprayaan Ep. 10
    Mahaprayaan Ep.11
    Mahaprayaan Ep. 12
    Mahaprayaan Ep. 13
    Mahaprayaan Ep. 14
    Mahaprayaan Ep. 15
    Mahaprayaan Ep. 16
    Mahaprayaan Ep. 17
    Mahaprayaan Ep. 18
    Mahaprayaan Ep. 19
    Mahaprayaan Ep. 20
    Mahaprayaan Ep. 21
    Mahaprayaan Ep. 22
    Mahaprayaan Ep. 23
    Mahaprayaan Ep. 24
    Mahaprayaan Ep. 25
    Mahaprayaan Ep. 26
    Mahaprayaan Ep. 27
    Mahaprayaan Ep. 28
    Mahaprayaan Ep. 29

      Sign up for Updates

    Submit
Powered by Create your own unique website with customizable templates.