fiction hindi
  • रचनाओं की सूची
  • Blog
  • महाप्रयाण
  • Contact Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • रचनाओं की सूची
  • Blog
  • महाप्रयाण
  • Contact Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy

महाप्रयाण भाग -20 "व्यूहस्वरुप"

15/1/2017

0 Comments

 
Previous<                  >Next


सेना के आगे अपने अश्व को दौड़ाकर सेनापति रुद्रदेव ने आदेश दिया, “व्यूह स्वरूप बनाओ”

उनके पीछे दोनों ओर चल रहे ध्वजवाहक सैनिकों ने अपने ध्वज ऊँचे कर दिए और हाथ में पकड़ी हुई तुरही से एक विशेष ध्वनि की। रुद्रदेव सेना के उत्तर से दक्षिण छोर की ओर लगातार दौड़ते हुए सेना को स्वरूप बनाने का निर्देश दे रहे थे । नदी से सैनिकों का आना अब भी जारी था , वे सेना में पीछे की ओर सम्मिलित होते जा रहे थे।

शत्रु की पत्थर गुलेलें बहुत विशालकाय पत्थरों को फेंकने के लिए बनाई गई थी इसलिए वह स्वयं बहुत स्थूल थीं , उन्हें एक स्थान पर रखकर उनका निशाना एक बार निश्चित किया जा सकता था । वे बार-बार निशाना बदलने के लिए नहीं बनी थीं और शत्रुपक्ष ने उनका निशाना नदी के उन लकड़ी के पुलों को ही बना रखा था , उनसे विराटनगर की सेना को बहुत नुकसान भी हुआ परंतु एक बार नदी पार कर लेने के बाद उन गुलेलों से खतरा नहीं था ।

अब दूसरे आक्रमण का समय था। शत्रु सेना की तुरही बजी और उनकी धनुष सेना ने अपना काम किया । एक साथ छोड़े गए असंख्य तीर रुद्रदेव की सेना की ओर आने लगे , रुद्रदेव ने आकाश की ओर देखा और फिर एक हल्की सी मुस्कान के साथ अपने सैनिकों के प्रोत्साहन में जुट गए । आकाश से आते हुए सारे तीर विराटनगर की सेना से कुछ दूर गिरकर निष्प्रभ हो गए। षटकुल की एक बड़ी चूक , विराटनगर की सेना उनसे इतनी दूरी पर थी कि उनके तीर वहाँ तक नहीं पहुंच पा रहे थे और उनकी गुलेलों का निशाना सेना के पीछे नदी पर था अर्थात यह बीच का भाग एक सुरक्षित स्थान बन गया था । तीरों को सेना तक पहुंचाने के लिए या तो षटकुल की सेना को आगे आना पड़ता, जो कि वे करना नहीं चाहते थे या विराटनगर की सेना आगे बढ़े, जो कि यह बिना सुरक्षा के करेंगे नहीं । षटकुल से ऐसी भूल की उम्मीद तो रुद्रदेव को भी नहीं थी किंतु इस भूल से रूद्रदेव को पर्याप्त समय मिल गया था।

विराटनगर की सेना ने लगभग दो-दो हज़ार सैनिकों के चौकोर स्वरूप बना लिए , जिसमें किनारे के चारों भागों पर विशेष रुप से बनवाई गई ढालों को लेकर सैनिक खड़े थे । उन ढालों के दो पकड़ने के हत्थों में से एक , एक सैनिक के दाएं हाथ में था और दूसरा हत्था, दूसरे सैनिक के बाएं हाथ में और बचे हुए हाथ में एक-एक भाले थे , जो सामने की ओर नोक किए हुए थे । इन ढ़ालों से उस चौकोर का चारों ओर का भाग ढँक गया था । इसी तरह चौकोर के बीच में भी सैनिकों ने ढ़ालों को छत की भांति पकड़ रखा था। इस प्रकार ये चौकोर स्वरूप आगे-पीछे , दाएं-बाएं और ऊपर से अभेद्य हो चुके थे। किनारे के ढाल वाले सैनिकों के पीछे तलवारधारी सैनिक थे और चौकोर के बीचों-बीच अति प्रशिक्षित विशेष धनुर्धारी दल था। ऐसे असंख्य चौकोर पूरी सेना ने बना लिए थे और अब सेना आगे चल रही थी ।

जैसे ही विराट लनगर की सेना आगे बढ़ी पुनः षटकुल के तीरों की वर्षा आरंभ हो गई। अब तो सेना उन तीरों की पहुंच में भी आ चुकी थी परंतु इस बार वे तीर इस अभैद्य चौकोर की ढालों से ढंकी छत पर गिरकर निष्प्रभ हो रहे थे परंतु फिर भी बाणवर्षा निरंतर जारी थी। शत्रु सेना की दो बाणवर्षा के बीच जो समय मिला उसमें सेनापति ने आज्ञा दी ,
“धनुष सेना”
तुरही बजी, ध्वज ऊँचे हुए और आज्ञा पाते ही प्रत्येक व्यूह स्वरूप की छत वाली ढालों को हटाया गया। कुशलतम धनुर्धारी सैनिकों को कुछ ऊपर उठाया गया और उन्होंने शत्रु सेना के प्रमुखों व दल रक्षकों को सीधा निशाना बना दिया । बाण छोड़ते ही सभी दलों में धनुर्धर एक साथ पुनः व्यूह स्वरूप में चले गए और तुरंत ही छत की ढालों को बंद कर दिया गया। सब कुछ इतना चमत्कारिक और अनुशासनात्मक ढंग से हुआ कि किसी को कुछ समझ ना आया । अब सामने वाली सेना के बाणों के लिए व्यूह स्वरूप फिर से अभैध हो गए, यह क्रम निरंतर चलता रहा।

सेना लगातार आगे बढ़ रही थी। इन व्यूह स्वरूपों से विराटनगर की सेना का लगभग ना के बराबर नुकसान हुआ परंतु षटकुल को अच्छी-खासी प्राण हानि हुई थी। विराटनगर अपनी इस युक्ति से नदी में हुई अपनी प्रारंभिक हानि से उबर चुका था बल्कि उसने अपेक्षाकृत कुछ अधिक ही नुकसान पहुंचा दिया था।

Previous<               >Next

---------------

आगामी भाग में पढ़ें- अब तो दोनों पक्षों की स्थिति लगभग बराबरी की हो चुकी थी । अब कौन सा नवीन पैंतरा उपयोग करेंगे रुद्रदेव अथवा उनका ही पैंतरा उन पर भारी पड़ेगा।
जानने के लिये पढ़ते रहें “महाप्रयाण”

आपके द्वारा दिया गया प्रोत्साहन ही हमारी ऊर्जा है कृपया इसे निरंतर देते रहें।
आगामी भाग दिनांक 22.01.2017 को प्रकाशित किया जाएगा।
ई मेल द्वारा नोटिफिकेशन प्राप्त करने के लिए फॉर्म अवश्य साइन अप करें।
धन्यवाद
0 Comments

    Author

    A creation of Kalpesh Wagh & Aashish soni

    Categories

    All
    Mahaprayaan Ep. 01
    Mahaprayaan Ep. 02
    Mahaprayaan Ep. 03
    Mahaprayaan Ep. 04
    Mahaprayaan Ep. 05
    Mahaprayaan Ep. 06
    Mahaprayaan Ep. 07
    Mahaprayaan Ep. 08
    Mahaprayaan Ep. 09
    Mahaprayaan Ep. 10
    Mahaprayaan Ep.11
    Mahaprayaan Ep. 12
    Mahaprayaan Ep. 13
    Mahaprayaan Ep. 14
    Mahaprayaan Ep. 15
    Mahaprayaan Ep. 16
    Mahaprayaan Ep. 17
    Mahaprayaan Ep. 18
    Mahaprayaan Ep. 19
    Mahaprayaan Ep. 20
    Mahaprayaan Ep. 21
    Mahaprayaan Ep. 22
    Mahaprayaan Ep. 23
    Mahaprayaan Ep. 24
    Mahaprayaan Ep. 25
    Mahaprayaan Ep. 26
    Mahaprayaan Ep. 27
    Mahaprayaan Ep. 28
    Mahaprayaan Ep. 29

      Sign up for Updates

    Submit
Powered by Create your own unique website with customizable templates.