सुबह-सुबह यह 8:30 - 9:00 बजे के लगभग इस यूनिवर्सिटी रोड पर बाइक दौड़ाने का मजा ही कुछ और है। ठंड के इन दिनों में एक तो ट्रैफिक कम रहता है और दूसरा इतनी चिकनी रोड शहर में और कहीं है नहीं । सड़क के आसपास लगे लिपटिस और दूसरे पेड़ भी इसे खूबसूरत बना देते हैं । बस ध्यान इतना रखना पड़ता है कि कोहरे की वजह से किसी टहलने वाले बूढ़े को आप समय से पहले भगवान के पास न पहुंचा दो ।
“अरे यह कौन जा रही है” आगे चलती एक पिंक स्कूटी पर मेरी नजर पड़ी। “यूनिवर्सिटी जाने वाले बहुत से यंगस्टर्स आते-जाते रहते हैं, पर इस गाड़ी को तो पहले कभी नहीं देखा , चलो देखते हैं।” मैंने पलक झपकते ही अपनी हार्ले को एक्सीलरेट किया और उसके बाजू में पहुंच गया। (जी हां हार्ले ! अब इतना भी चौंकने की जरूरत नहीं है, कहानी मैं सुना रहा हूं ना आपको तो मैं हार्ले क्या जेट भी उड़ा सकता हूं सड़क पर, आप बस चुपचाप पढ़ो ) “हाय , मायसेल्फ ऋषि ” मैंने इंट्रोडक्शन फेंका । ( मैं सोच रहा था कि इस कहानी में अपना नाम कृष रखूं या ऋषि रखूं , अच्छा हुआ कृषि ना हो गया..... हा हा हा....... सॉरी बेड जोक ) वाह क्या लड़की थी । जो नजारा पीछे से था , उससे कई गुना खूबसूरत आगे से था। उसने एक नजर मेरी तरफ देखा और स्कूटी की स्पीड बढ़ा दी , अब बेचारी स्कूटी 60 पे आकर भोंssssss भोंsssssss करने लगी । कोई हार्ले से कंपीटीशन होगा क्या ? अपन साथ के साथ ही थे । “नई आई हो यूनिवर्सिटी में .....” नो आंसर वो सामने देखकर गाड़ी चलाती रही । “वैसे मैं यहां यूनिवर्सिटी का प्रेसिडेंट हूं , वो भी इलेक्टेड, परसेंटेज से नहीं” (आप फिर उचके बीच में । मैंने यूनिवर्सिटी प्रेजिडेंट पर ही संतोष किया..... किया ना । वरना मैं देश का प्रधानमंत्री भी हो सकता था अपनी कहानी में । अब मत रोकना बीच में .... क्या करूं यूनिवर्सिटी प्रेजिडेंट हूं ना , तो थोड़ा एटीट्यूड भी है । बीच में रोकने वालों पर गुस्सा आ ही जाता है , खैर .....) उसने फिर कोई रिएक्शन नहीं दिया । “तो भूमि नाम है तुम्हारा ” ( मेरे सपनों में जो पहली लड़की आई जिससे मुझे सपनों में ही पहला प्यार हुआ था , असल में उसका नाम मैंने रखा था भूमि ) इस बार फर्स्ट टाइम उसने नहीं में गर्दन हिलाई । “तो श्रुति...” मैं उसके गर्दन हिलाने का इंतजार कर रहा था । दोनों गाड़ियां अब भी साथ ही चल रही थीं। जब कुछ देर हां-ना कैसी भी गर्दन ना हिलाई, मैं समझ गया। “अच्छाsssss..... तो श्रुति ही नाम है तुम्हारा, पहले ही बता देती । ” ( अब भगवान के लिए आप ये मत सोच लेना कि श्रुति उस दूसरी लड़की का नाम था जिसे मुझे सपनों में प्यार हुआ था...................................लेकिन.......... सच बात तो यही है ) “किस स्ट्रीम में हो यूनिवर्सिटी में ” मैंने फिर जवाब का इंतजार किया , समझ नहीं पाई बेचारी। “अरे सब्जेक्ट-सब्जेक्ट , कौन सा सब्जेक्ट है तुम्हारा ” तभी मोबाइल की रिंग बजने लगी, मैंने चलती गाड़ी पर ही अपना iphone 7 जेब से निकाला। उसने एक तिरछी नजर से मेरे फोन को देखा। मैं रुककर बात करने लगा । ( क्या कहा , ज्यादा हो गया ! ज्यादा हो गया .....कम हो गया...... हुआ ही नहीं , अरे आप को क्या लेना-देना है बस दूसरों के फटे में टांग अड़ाना है। हाँ- हाँ मेरे पास iphone 7 है । आsssह पेट में एक तरफ दर्द हुआ, अक्सर हो जाता है ......कोई दिक्कत नहीं है..... वो क्या है कि एक किडनी नहीं है ना इसलिए ) फोन पर बात खत्म हुई तो वह थोड़ी आगे निकल गई थी। लेकिन हार्ले के लिए क्या दूर और क्या पास , मैं फिर उसके बगल में पहुंच गया। “ वैसे मैं फॉर्मेसी स्ट्रीम से हूं..... सॉरी फार्मेसी सब्जेक्ट से” सामने वाले की समझ में भी तो आना चाहिए न । वो तब भी कुछ ना बोली। गूंगी थी शायद बेचारी ! जबसे तुषार कपूर को गूंगा बना देखा है ना , बहुत दया आती है मुझे गूंगे लोगों पर ........मगर क्या कर सकते है। ( एक ठंडी सांस छूट गई, साथ में धुआं भी... निकला यही मजा है ठंड का ) वो समझ तो गई थी कि लड़का है बहुत स्ट्रांग । सामने राइट साइड में यूनिवर्सिटी का गेट आ गया । “चलो बाकी यूनिवर्सिटी में ही रुक कर बात करते हैं ” मैं थोड़ी स्पीड बढ़ा कर आगे यूनिवर्सिटी में घुसा । हार्ले यू नो । गाड़ी रोक कर पीछे देखा तो ............ अरे यह क्या......... वो तो सीधे निकल गई , अरे! मतलब यूनिवर्सिटी में नहीं पढ़ती थी । ओssहोsssssss उसका बैकपैक दिख रहा था पीछे से, एक ठेंगे वाला हाथ बना था । उस पर लिखा था, “ ips coaching center , come to us for 100% success” भाड़ में गई सक्सेस, और आप क्या हंस रहे हो.... जाओ मनाओ वैलेंटाइन अपनी-अपनी वाली के साथ.............. मैं इस साल भी दिन भर कपल्स को पकड़-पकड़ कर पीटूंगा.......चलो रे लड़कों। “भाई वो... वो... मुझे कुछ काम था, आप चलो मैं थोड़ी देर में आता हूँ।” ................ कैसा लगा , comment ज़रूर करना और फॉर्म signup करना भूल मत जाना।
3 Comments
Megha
14/2/2017 12:00:35 pm
Waah wah ....
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kiran
17/2/2017 01:00:52 pm
Nice story
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fictionhindi
17/2/2017 01:21:53 pm
thanks
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AuthorA creation of Kalpesh Wagh & Aashish soni Archives
March 2017
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