वो* हिन्दू है
कर्म की वेदी चढ़ा संकल्प की समिधा लिए होम जीवन कर रहा वो धर्म रक्षा के लिए अग्नि है सामर्थ्य उसका घृत बना अभिमान है धूम्र सा आकाश छूता हिन्दू का सम्मान है देह हवि है प्राण पण पर हर परीक्षा के लिए होम जीवन कर रहा वो धर्म रक्षा के लिए सामगानों में है गुंजित वो ऋचाओं में ध्वनित है ज्ञान ज्योति से प्रकाशित दस दिशाओं में उदित है विश्व है करबद्ध सम्मुख ज्ञान दीक्षा के लिए होम जीवन कर रहा वो धर्म रक्षा के लिए ओमकार बन नभ् में है गुंजित वो जलद गंभीर सा वेद मंत्रो में बरसता वो सघन हो क्षीर सा धन्य ऋषि मुनियों की थाती पुण्य वर्षा के लिए होम जीवन कर रहा वो धर्म रक्षा के लिए समिधा-हवन में जलाई जाने वाली लकड़ियां हवि- हवन करने की वस्तु, पण पर- दांव पर जलद-बादल थाती- धरोहर सामगान- सामवेद के गाये जाने वाले मंत्र ऋचा- ऋग्वेद के मंत्र क्षीर- दूध
4 Comments
Megha
4/8/2015 03:13:01 am
Bahut hi badiya.👍👍👍👍👍
Reply
deepak sharma
17/9/2015 09:07:57 pm
Bahut hi sundar
Reply
सामन्त भट्ट
19/3/2016 09:59:31 am
साक्षात् शब्द चित्र प्रस्तुति
Reply
Kalpesh Wagh
19/3/2016 11:02:36 am
धन्यवाद..कृपया ऐसे ही साथ बनाये रखें
Reply
Leave a Reply. |
AuthorA creation of Kalpesh Wagh & Aashish soni Archives
March 2017
Categories
All
|