सुबह
मैं चंद खामोश किरणों का, सुनहरा सा उजाला हूँ मुझे कुछ देर तक लेना, फिर कामों में खो जाना दोपहर मैं चंद खामोश लोगो की, बियाबाँ सी दोपहरी हूँ मुझमें कुछ देर थक लेना , फिर सांझों में खो जाना रात मैं चंद खामोश लब्ज़ों की, उनींदी सी कहानी हूँ मुझे कुछ देर पढ़ लेना, फिर ख्वाबों में खो जाना...
7 Comments
Rita
25/6/2016 06:35:41 am
Bahut sundar bhaav :)
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fictionhindi
25/6/2016 03:55:54 pm
धन्यवाद
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Megha
25/6/2016 11:01:28 am
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purva wagh
25/6/2016 02:48:37 pm
sudan abhivyakti
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प्रकाश अव्यक्त
25/6/2016 05:47:53 pm
अति सुन्दर.. रोचक नवीन व्यंजना ..!!
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Prachi wagh
6/7/2016 09:55:56 am
Very nice work
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